विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि भारत को चीन से अलग करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत का रुख अडिग रहेगा. जयशंकर धारवाड़ में बुद्धिजीवियों के साथ एक सत्र में बोल रहे थे. धारवाड़ में रविवार को भाजपा महानगर इकाई की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उन्होंने कहा, "चीन के साथ हमारा गंभीर विवाद है और 2020 के बाद से सीमा पर तनाव है." साथ ही उन्होंने कहा, "चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं और अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैन्य बल हो तो फिर यह सामान्य हो भी नहीं सकते हैं."
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की आक्रामकता को लेकर जयशंकर ने कहा, "2020 में जब कोविड चल रहा था, तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना को बहुत बड़ी संख्या में बॉर्डर पर भेजने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी क्योंकि सीमाओं को सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समझौतों का उल्लंघन करके सेना को लाने वाले पड़ोसी को आप जो एकमात्र जवाब दे सकते हैं, वो सेना को विरोध में तैनात करना है.
जयशंकर ने यह भी कहा, "हमारे सैनिकों को चीन की सीमा पर इस तरह से तैनात किया गया था कि उनकी अच्छी देखभाल हो और उनके पास चुनौतियों से निपटने के लिए सही उपकरण हों. जब तक हमें कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिल जाता, उस सीमा पर हमारा रुख नहीं बदलेगा. हमें जो कुछ भी बनाए रखना होगा, हम उसे बनाए रखेंगे क्योंकि यह प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है."
सीमा सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, "हमारे कई पड़ोसी हैं, जिनमें से अधिकांश के साथ हमारे संबंध बेहद अच्छे हैं. उनमें से दो के साथ हमें समस्या है और मुझे लगता है कि हमें इसे स्वीकार करने और इस बारे में बात करने में संकोच करना चाहिए."
उन्होंने कहा, "पहला, पाकिस्तान जहां समस्याएं साफ हैं. यह भी तथ्य है कि हमें जितना सहिष्णु होना चाहिए था, उससे कहीं अधिक हम सहनशील रहे हैं."
विदेश मंत्री ने यह भी कहा, "हमें दृढ़ रहना होगा, हमें उन्हें बेनकाब करना होगा. हमें आतंकवाद को गैरकानूनी बताना होगा. अगर हम कड़ा रुख नहीं अपना सके, तो दुनिया से भी कड़े रुख की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम मुख्य रूप से प्रभावित पक्ष हैं."
जयशंकर ने कहा, "2014 के बाद बड़ा अंतर आया है, हम इस मुद्दे पर पूरी तरह से समझौता नहीं कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "हमारे लिए चाहे कोई भी मंच हो, हम दृढ़ता से आतंकवाद को केंद्र बिंदु के रूप में रखते रहे हैं. यहां तक कि जी20 में भी हमने यह सुनिश्चित किया है कि दुनिया आज यह स्वीकार करे कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है."
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