अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विवाहेतर संबंध धारा 304 बी के तहत आरोपी को फंसाने का आधार नहीं हो सकता. न्यायालय ने कहा है कि उत्पीड़न या क्रूरता को दहेज की मांग या ‘मृत्यु से ठीक पहले’ हुई मानसिक क्रूरता से जोड़ा जाना चाहिए.
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