उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बजट सत्र मंगलवार से शुरू हो गया. पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर गतिरोध देखने को मिला. सदन में भाषा को लेकर भी दोनों पक्ष आमने-सामने भिड़ गए. बाद में समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने विधानसभा के अंदर हुए भाषा को लेकर घमासान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने कभी भी किसी भाषा का विरोध नहीं किया. नेताजी ने तो हमेशा हिंदी भाषा को बढ़ाने की बात की.
सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भोजपुरी और अवधी भाषा को लेकर सपा पर निशाना साधने पर डिंपल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने हिंदी भाषा को बढ़ाने के लिए सदन में कई व्यक्तित्व दिए हैं, विचार पेश किए है.
डिंपल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग किस-किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, उनकी तो न भाषा अच्छी है न ही भावनाएं अच्छी हैं. उन्होंने कहा कि सदन का पहला दिन था, यहां कुंभ पर बात होनी चाहिए थी, कितनी बड़ी-बड़ी घटनाएं कुंभ में घाटी हैं उस पर बात होनी चाहिए.

सपा सांसद ने कहा कि सरकार ने मौत के आंकड़े छुपा दिए और न जाने कितने हजार करोड़ व्यवस्था में लगा दिए. पहले दिन विधानसभा में सही मायने में जिन लोगों ने अपनी जान गवाई है, उनको श्रद्धांजलि देने का दिन था. लेकिन बीजेपी सरकार जिस तरह की भाषा बोल रही है, ये साफ दर्शाता है कि कहीं ना कहीं अपनी कमियों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है.
दरअसल विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन को क्षेत्रीय बोलियों में भी विधानसभा की कार्यवाही के प्रसारण की सूचना दी. उन्होंने घोषणा की कि सदन की कार्यवाही का अनुवाद अंग्रेजी के साथ-साथ चार क्षेत्रीय भाषाओं अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेलखंडी में भी उपलब्ध होगा. इस घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने उर्दू को भी इसमें शामिल करने की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई.

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने विधानसभा में अंग्रेजी के प्रयोग पर आपत्ति जताते हुए कहा, "इस विधानसभा में अंग्रेजी का उपयोग न्यायोचित नहीं है." उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि अंग्रेजी को आगे करके वह हिंदी को कमजोर कर रही है. पांडेय ने कहा कि अगर विधानसभा में अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जा रहा है तो उर्दू का भी होना चाहिए.
माता प्रसाद पांडेय के इस बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "समाजवादियों का दोहरा आचरण है, वे अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजेंगे और यहां अंग्रेजी का विरोध करेंगे. इस प्रकार के विरोध की निंदा होनी चाहिए." योगी ने यह आरोप भी लगाया कि, "ये लोग उर्दू पढ़ाकर (दूसरे के बच्चों को) मौलवी बनाना चाहते हैं. यह कतई स्वीकार नहीं होगा."
बजट सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा और दोनों पारियों को मिलाकर एक घंटे तक भी कार्यवाही नहीं चली.
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