Tuesday, 13 August 2024

'उर्दू से क्या दिक्कत है?' : पातुर नगर परिषद के साइन बोर्ड हटाने की मांग वाली याचिका पर SC ने पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पातुर नगर परिषद के उर्दू साइन बोर्ड को हटाने की मांग वाली याचिका पर सवाल उठाया. साइन बोर्ड पर नगर निकाय का नाम मराठी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखा हुआ था. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि उर्दू भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से एक है और साइन बोर्डों पर उर्दू को लेकर कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. खासकर उन क्षेत्रों में जहां उर्दू बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है.

पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि उर्दू से आपको क्या दिक्कत है? ये समझिए कि ये आठवीं अनुसूची की भाषा है. नगर निगम ने इसे पूरे राज्य पर नहीं थोपा, ⁠हो सकता है कि उस क्षेत्र में सिर्फ़ वो ख़ास भाषा ही समझी जाती हो.

दरअसल पीठ बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के 10 अप्रैल के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी. उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य की आधिकारिक भाषा मराठी के अलावा किसी भी भाषा में नगर पालिका परिषदों के साइन बोर्ड लगाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.

याचिकाकर्ता ने अकोला जिला मराठी भाषा समिति के अध्यक्ष को संबंधित बोर्ड को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी.

उच्च न्यायालय के समक्ष यह दलील दी गई थी कि महाराष्ट्र स्थानीय प्राधिकरण (राजभाषा) अधिनियम, 2022, सिविल प्राधिकरणों के साइनबोर्ड पर मराठी के अलावा अन्य भाषाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है.

अब सुप्रीम कोर्ट ने  महाराष्ट्र सरकार को जवाब दाखिल करने और अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी.



from NDTV India - Pramukh khabrein https://ift.tt/BkwQ4Mt

No comments:

Post a Comment