Thursday, 31 October 2024

दिवाली के दिन हवा में जहर: दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों की हवा खराब

राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर लगी रोक का उल्लंघन कर दिल्ली में बृहस्पतिवार को दिवाली की रात बड़े पैमाने पर की गई आतिशबाजी के कारण शहर में धुएं के बादल छा गए और गंभीर ध्वनि प्रदूषण हुआ. आतिशबाजी के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई. रात 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 दर्ज किया गया.

आनंद विहार सहित प्रमुख क्षेत्रों में एक्यूआई ‘गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया. शहर की आबो हवा में पीएम 2.5 की सांद्रता बढ़ गई, जिससे श्वसन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो गई.

पिछले वर्ष दिवाली पर आसमान साफ ​​था और अनुकूल मौसमी संबंधी परिस्थितियों के कारण एक्यूआई 218 दर्ज किया गया था. इसके उलट इस साल दिवाली पर शहर में प्रदूषण का स्तर फिर से अपने चरम पर पहुंच गया. प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों, पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण स्थिति और खराब हो गई.

हालांकि, दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध का अनुपालन कराने के लिए 377 प्रवर्तन दल गठित किए थे और स्थानीय संघों के माध्यम से जागरूकता फैलाई थी. इसके बावजूद पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों का उल्लंघन होने की खबरें आईं. दिल्ली का बीते 24 घंटे का औसत एक्यूआई 330 दर्ज किया गया, जो पिछले दिन 307 था.

धुंध से भरे आसमान ने 2020 के ‘गंभीर' प्रदूषण की यादें ताजा कर दीं, क्योंकि रात नौ बजे पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमश: 145.1 और 272 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गया.

पीएम 2.5 एक सूक्ष्म कण है जो श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों में जिन्हें पहले ही सांस संबंधी बीमारी हैं. बढ़ते प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए दिल्ली सरकार ने लगातार पांचवें साल भी राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है.

दिवाली की पूर्व संध्या पर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध क्रियान्वित करने के लिए 377 टीम गठित की गई हैं. उन्होंने कहा कि जागरूकता फैलाने के लिए अधिकारी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), बाजार संघों और सामाजिक संगठनों के संपर्क में हैं. पुलिस टीम यह सुनिश्चित करने के लिए गठित की गई हैं कि पटाखे न जलाए जाएं.

एक अधिकारी ने बताया,‘‘पटाखे जलाते पाये जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की संबंधित धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है.''

हालांकि, प्राप्त खबरों के मुताबिक पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली में प्रतिबंध का व्यापक रूप से उल्लंघन किया गया और जौनपुर, पंजाबी बाग, बुराड़ी और ईस्ट ऑफ कैलाश जैसे इलाकों में आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा.

नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम सहित दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही और इन शहरों में एक्यूआई ‘खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया जबकि फरीदाबाद में एक्यूआई 181 दर्ज किया गया. फिर भी, प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, स्थानीय प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में धुंध की स्थिति और खराब हो गई, जो सर्दियों में चरम पर होती है.

दिल्ली में दिवाली के अवसर पर 2022 में 312, 2021 में 382, ​​2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 एक्यूआई दर्ज किया गया था.

दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. जहरीली हवा सिर्फ फेफड़े ही नहीं बल्कि आंख, कान, हार्ट समेत कई अंगों के लिए समस्या पैदा कर रही है. जो लोग पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके लिए भी प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो रहा है.

दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा में कई स्थानों पर बृहस्पतिवार को दिवाली की रात वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खराब' और ‘बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया. पंजाब के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में भी कई स्थानों पर एक्यूआई ‘खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के समीर ऐप द्वारा घंटे के आधार पर जारी राष्ट्रीय एक्यूआई के मुताबिक बृहस्पतिवार रात 11 बजे हरियाणा के गुरुग्राम में एक्यूआई 322, जींद में 336 और चरखी दादरी में 306 दर्ज किया गया.

इसके अलावा हरियाणा के अंबाला में 201, बहादुरगढ़ में 292, भिवानी में 278, बल्लभगढ़ में 211, फरीदाबाद में 245, कुरुक्षेत्र में 270, पंचकूला में 202, रोहतक में 222 और सोनीपत में एक्यूआई 258 दर्ज किया गया.

आंकड़ों के मुताबिक बृहस्पतिवार रात 11 बजे चंडीगढ़ का एक्यूआई 239 दर्ज किया गया. इसी प्रकार पंजाब के जालंधर में रात 11 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 256 रहा जबकि लुधियाना में यह 234, मंडी गोबिंदगढ़ में 266 और पटियाला में 244 दर्ज किया गया.

मौसम विभाग द्वारा तय पैमाने के मुताबिक, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 को ‘संतोषजनक', 101 से 200 को ‘मध्यम', 201 से 300 को ‘खराब', 301 से 400 को ‘बहुत खराब' तथा 401 से 500 को ‘गंभीर' माना जाता है.
 



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दिवाली में पहन लिए ऐसे कुर्ते कि अब घर में लाइट्स लगाने की भी नहीं पड़ेगी जरूरत, वीडियो देख लोग बोले- भाई हमें भी दिला दो

दिवाली एक ऐसा त्योहार है, जिसमें हर कोई अलग अंदाज में नज़र आना चाहता है. यही वजह  है कि लोग अपने घर को सजाने से लेकर कपड़े पहनने के स्टाइल में कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे वे कुछ अलग ही नजर आएं. तीन युवकों का एक ऐसा ही अलहदा अंदाज सोशल मीडिया पर खूब देखा और पसंद किया जा रहा है. वैसे तो इन्होंने त्योहारों पर पारंपरिक रूप से पहने जाने वाला परिधान यानि कुर्ता पजामा ही पहना है, लेकिन इनके इस एक स्पेशल टच ने इस नॉर्मल ड्रेस को भी खास बना रहा है. दरअसल, इन तीनों के कुर्ते के बटन ऐसे हैं, जो अंधेरे में खूब चमकते हैं, मानों इनमें लाइट लगी हो. उजाले में ये साधारण कुर्ते की तरह ही दिखाई दे रहा है, लेकिन अंधेरा होते ही कुर्ते के बटन इस एक अलग ही लुक दे रहे हैं.

गजब का कुर्ता

इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर @style_icon_official__ नाम के हैंडल से शेयर किया गया है, जो अक्सर फैशन और स्टाइल से संबंधित मजेदार वीडियो पोस्ट करता है. वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रिया भी काफी दिलचस्प रही है. कुछ लोग इनकी ड्रेस की जमकर तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इन बटनों को चाइनीज प्रोडक्ट बताते हुए इनके बहिष्कार की बात कर रहे हैं. कुछ यूजर्स तो इन चमकते बटनों की तुलना जुगनुओं से कर रहे हैं, जैसे कोई जुगनू पकड़कर लाया हो. कुछ का तो ये भी कहना है कि ये वीडियो ईद के मौके पर बनाया गया था, जिसे दिवाली पर रीपोस्ट कर दिया गया है.

यहां देखें वीडियो

रोशनी का त्योहार

तो क्या आप भी इस दीवाली अपने कुर्ते में ऐसे ही चमकदार बटन जोड़ने की सोच रहे हैं? अगर हां, तो अपनी रचनात्मकता दिखाएं और अपने लुक में कुछ खास जोड़ें. इस दीवाली अपने दोस्तों के साथ मिलकर रोशनी और खुशियों का जश्न मनाएं. चलो, मिलकर इस दिवाली को यादगार बनाते हैं Happy Diwali.

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दिवाली की सफाई से जुड़ी वायरल जरूरी सूचना, सुनकर हंस हंसकर लोटपोट हुई पब्लिक

सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफॉर्म्स पर इंफ्लूएंसर्स ने दिवाली का माहौल भी खूब बना कर रखा है. कुछ इंफ्लूएंसर्स ने रंगोली बनाने के टिप्स दिए हैं, तो कुछ पकवान बनाना और घर की सजावट करने के तरीके सिखा रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो नए गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स की जानकारी दे रहे हैं. इन इंफ्लूएंजर्स की भीड़ में एक इंफ्लूएंसर ऐसा भी है...जो सफाई करने से पहले की एक जरूरी टिप्स दे रहा है, जिसे सुनकर आप भी हंस-हंस कर लोटपोट हो सकते हैं या फिर आपको कोई खास लम्हा भी याद आ सकता है. आप भी सुनिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये वॉर्निंग.

सफाई से पहले ध्यान रखें ये बात

इंस्टाग्राम पर सोनू सिंह नाम के एक हैंडल से ये वीडियो पोस्ट हुआ है, जिसमें एक शख्स रोड पर खड़ा हुआ दिख रहा है. ये शख्स जोर-जोर से अनाउंसमेंट करता दिख रहा है. बीच बाजार में खडे होकर ये शख्स अनाउंस करता है कि, सुनो..सुनो..सुनो दिवाली से पहले की जरूरी सूचना. दिवाली की सफाई शुरू होने वाली है. उससे पहले अपना कोई पुराना प्रेमपत्र या लव लेटर या फिर कोई घड़ी हो तो उसे पहले ही हटा लें. कहीं दिवाली की सफाई में मिल गई, तो आपकी मुश्किल बढ़ सकती है. इस अनाउंसमेंट पर वहां से गुजरने वाले लोग हंसते हुए दिखाई देते हैं. इस पोस्ट को कैप्शन दिया है दिपावली सूचना.

यहां देखें वीडियो

यूजर्स ने कहा बात तो सही है..

मजेदार बात ये है कि यूजर्स को भी सोनू सिंह की ये वॉर्निंग काफी पसंद आई. एक यूजर ने लिखा कि, भाई बिल्कुल सही बात याद दिलाई है. बहुत से यूजर्स ने लाफिंग इमोजी शेयर कर ये जताया है कि उन्हें ये वीडियो काफी मजेदार लगा. खबर लिखे जाने तक इस वीडियो को 5 लाख 63 हजार से भी ज्यादा लाइक्स मिल चुके थे.

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Wednesday, 30 October 2024

प्रचार की भूख ने लागू नहीं करने दी स्कीम... : आयुष्मान भारत को लेकर अरविंद केजरीवाल को LG का लेटर

दिल्ली BJP और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच PM मोदी के 'आयुष्मान भारत स्कीम' को लेकर वाक युद्ध चल रहा है. इस विवाद में दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की भी एंट्री हो गई है. LG ने दिल्ली में आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) स्कीम के लागू न होने को लेकर AAP संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal)को जिम्मेदार ठहराया है.

दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार की रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अरविंद केजरीवाल के नाम एक ओपन लेटर लिखते हुए उन पर जमकर निशाना साधा. LG ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली के लाखों लोगों को आयुष्मान भारत स्कीम से अब तक सिर्फ इसलिए दूर रखा, ताकि उनके प्रचारित झूठे हेल्थ मॉडल का सच सामने ना आ जाए. उनकी हर बात पर खुद को झूठा क्रेडिट लेने की आदत का भंडाफोड न हो जाए.

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LG वीके सक्सेना ने दावा किया, "केजरीवाल ने इस आयुष्मान भारत स्कीम का विरोध सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि वे चाहते थे कि उनका नाम इस स्कीम के साथ किसी भी तरह से जोड़ दिया जाए. केजरीवाल आयुष्मान भारत स्कीम का नाम 'मुख्यमंत्री आम आदमी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत' रखना चाहते थे. भारत सरकार भी उनके इस महिमा मंडन के लिए तैयार हो गई थी, मात्र यह कहते हुए कि आप अपना नाम 'आयुष्मान भारत' के बाद इस्तेमाल करें, लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार ने एक के बाद एक कई अड़ंगे लगाकर इस स्कीम को लागू नहीं होने दिया."

LG वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि आपकी आत्ममुग्धता और प्रचार की भूख ने दिल्ली सरकार को यह स्कीम अब तक लागू नहीं करने दी.

दिल्ली हेल्थ मॉडल को बताया भ्रम जाल
LG ने दिल्ली सरकार के तथाकथित हेल्थ मॉडल को सशक्त प्रचार तंत्र द्वारा निर्मित भ्रम जाल बताया. वीके सक्सेना ने कहा, "आपने सालों से स्वास्थ्य विभाग की CAG रिपोर्ट को दबाकर रखा हुआ है. इन CAG रिपोर्टों को आप विधानसभा में पेश नहीं होने देते कि कहीं इनसे आपके भ्रम जाल का पर्दाफाश न हो जाए."

दिल्ली के LG ने कहा, "दिल्ली के हेल्थ मॉडल की धज्जियां उड़ाते हुए लिखा कि शायद दिल्ली एक मात्र ऐसा उदाहरण होगा, जहां हाईकोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देकर लोगों को दवाइयां उपलब्ध कराने को कहता हो. शायद दिल्ली एक मात्र ऐसा उदाहरण होगा, जहां अदालतों को दिल्ली सरकार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में CT-स्कैन मशीन को रिपेयर कराने का आदेश देना पड़ता हो."

LG सक्सेना ने आरोप लगाया कि दिल्ली के पैथोलॉजी लैब कानून के मुताबिक काम नहीं करते. 3 करोड़ आबादी के लिए अस्पतालों में मात्र 6 CT-Scan मशीनें हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली का हेल्थ मॉडल वह है, जहां 10000 करोड़ रुपये खर्च करके 24 अस्पतालों की बिल्डिंग बनती है, लेकिन डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं होता. उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लिनिक में टेस्ट्स के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की जांच CBI कर रही है और इनकी बदहाल स्थिति सड़कों पर हर आदमी देख सकता है."

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आखिर में LG ने लिखा, "चूंकि आप अब मुख्यमंत्री नहीं हैं, तो अब शायद आपको इस बात की जरूरत महसूस नहीं होगी कि आयुष्मान भारत स्कीम का नाम मुख्यमंत्री के नाम पर रखा जाए."

इससे पहले BJP IT सेल के हेड अमित मालवीय ने भी X प्लेटफॉर्म पर केजरीवाल पर तमाम आरोप लगाए थे. अमित मालवीय ने कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि 'दिल्ली आरोग्य कोष' के तहत कोई ऊपरी सीमा नहीं है. वास्तव में ये सीमा 5 लाख रुपये की है.

मालवीय ने यह भी कहा कि दिल्ली की हेल्थकेयर स्कीम में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, जो 70 साल से ज्यादा के उम्र के हैं और राष्ट्रीय राजधानी के मतदाता नहीं हैं. लेकिन आयुष्मान भारत स्कीम में ऐसा भेदभाव नहीं किया जाता.

2017 में शुरू हुई थी आयुष्मान भारत स्कीम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत केंद्र सरकार ने साल 2017 में आयुष्मान भारत स्कीम शुरू की थी. यह दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है. इससे देश के सबसे गरीब 40 प्रतिशत लोगों को हर साल 5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है. हालांकि, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य इस स्कीम को मानने से इनकार कर रहे हैं और राज्य में खुद अपनी योजना चला रहे हैं.

अब 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आयुष्मान भारत स्कीम का लाभ मिलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 अक्टूबर को इसकी शुरुआत की. देश में 70 साल से ज्यादा उम्र के करीब 6 करोड़ लोगों को इसका फायदा होगा.

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Tuesday, 29 October 2024

NCP प्रमुख अजित पवार के पास है 45 करोड़ की संपत्ति, इन दो कारों के भी हैं मालिक

बारामती से विधानसभा चुनाव लड़ रहे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास 8.22 करोड़ रुपये से अधिक की चल संपत्ति है, जबकि उनकी अचल संपत्ति का मूल्य 37.15 करोड़ रुपये है. उन्होंने ये जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपे गए हलफनामे में दी है. पवार ने पुणे जिले की सीट से दाखिल किए गए नामांकन पत्र के साथ दिए हलफनामे के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख के पास चल संपत्ति के रूप में दो कार-टोयोटा कैमरी, होंडा सीआरवी, एक ट्रैक्टर, चांदी की वस्तुएं, सावधि जमा, शेयर, बॉण्ड तथा अन्य वस्तुएं शामिल हैं.

अपने गृह क्षेत्र से आठवीं बार चुनाव लड़ रहे 65 साल के अजित पवार ने सोमवार को राकांपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया.

हलफनामे के अनुसार, उनकी पत्नी एवं राज्यसभा सदस्य सुनेत्रा पवार के पास 14.57 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है, जबकि उनके नाम पर 58.39 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्ति है.

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चुनाव में अजित पवार के मुख्य प्रतिद्वंद्वी उनके भतीजे युगेंद्र पवार हैं, जिन्हें राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने अपना उम्मीदवार बनाया है और वो पारिवारिक सीट से चुनावी राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं.

युगेंद्र ने भी सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. उन्होंने 39.79 करोड़ रुपये की चल संपत्ति घोषित की है. नामांकन पत्र के साथ दाखिल किए गए हलफनामे के अनुसार, युगेंद्र के पास 10.79 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है.

दस्तावेज के अनुसार, उनकी अचल संपत्ति में मुंबई में 2,000 वर्ग फुट से अधिक का एक फ्लैट और पुणे जिले के मुलशी और बारामती में भूखंड शामिल हैं.

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी.



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Monday, 28 October 2024

Bigg Boss 18: घरवालों ने चाहत पांडे को दिया नया नाम, बिग बॉस देखने वाले बोले बिल्कुल ठीक कहा

Bigg Boss में आए दिन नए रिश्ते बनते रहते हैं और इसके साथ नए नए कॉम्पलिकेशन, रिश्ते और दोस्ती भी देखने को मिलती है. फिलहाल हम किसी दोस्ती या नए रिश्ते की बात नहीं बल्कि एक कंटेस्टेंट को मिले नए निक नेम की बात कर रहे हैं. ये नया निक नेम चाहत पांडे को मिला है. चाहत को ये निक नेम एलिस से मिला. लेटेस्ट एपिसोड में विविय, ईशा और एलिस चाहत के बारे में डिस्कस करते दिखे कि किस तरह चाहत अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से सारा नैरेटिव बदल लेती हैं ताकि उनके लिए लिए चीजें अच्छी हो सकें.

इस बातचीत में एलिस ने चाहत को 'कन्वीनियंस चाहत पांडे' नाम दिया. वैसे बता दें कि चाहत शुरू से ही बिग बॉस की चर्चित कंटेस्टेंट रही हैं. वो एक पॉपुलर टीवी एक्ट्रेस हैं जो कुछ नया एक्सप्लोर करने के लिए इस शो में आईं और यहां उनकी रियल पर्सनैलिटी देखने को मिल रही है. अभी तक के उनके गेम की बात करें तो ज्यादातर रोती ही नजर आई हैं. बाकी उन्हें दिए एलिस के निक नेम से भी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह किस तरह का गेम खेल रही हैं. 

चाहत मनि पांडे एक इंडियन टेलीविजन एक्ट्रेस हैं जिन्होंने हमारी बहू सिल्क में पाखी पारेख, दुर्गा - माता की छाया में दुर्गा अनेजा और नथ में महुआ/कृष्णा के रोल में लीड रोल निभाते आई हैं. फिलहाल आप उन्हें बिग बॉस के 18वें सीजन ने नजर आ रही हैं. देखना होगा कि इस सीजन में कितना आगे तक पहुंच पाती हैं.



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Sunday, 27 October 2024

Bigg Boss पब्लिक को समझ रहा है बेवकूफ, घर के अंदर बैठे कंटेस्टेंट को कोई कैसे लग सकता है करंट ?

बिग बॉस को लेकर हमेशा कहा जाता है कि लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है. कंटेंट के नाम पर झगड़े होते हैं या सब स्क्रिप्टेड होता है. इस तरह के तमाम आरोपों का सामना बिग बॉस नाम का ये शो करता ही रहता है. लेकिन हमारा ध्यान एक ऐसी बात पर गया जिसे देखकर टेक्निकली ऐसा लगा कि वाकई इस मामले में तो बिग बॉस सच में बेवकूफ ही बना रहा है. ये है इस शो में होने वाला वो करंट गेम जो आपने कई बार देखा होगा. कई बार के अलावा जब रोहित शेट्टी आते हैं तब तो ये गेम होता ही है. इस गेम में आप देखते हैं कि पहले कंटेस्टेंट के हाथ पर एक बैंड पहनाया जाता है. इसके बाद स्क्रीन पर सलमान खान के साथ मौजूद गेस्ट एक रिमोट से उस करंट बैंड को ऑपरेट करते हैं. जैसे ही स्क्रीन से बटन दबाया है कंटेस्टेंट को करंट लग जाता है.

क्या है पेंच ?

आप सोच रहे होंगे कि ये हमने कई बार देखा है. इसमें क्या ट्विस्ट हो सकता है तो चलिए हम बताते हैं. हम इसे टेक्निकली गलत इसलिए बता रहे हैं कि सेट के दूसरे हिस्से पर बैठा कोई शख्स रिमोट पर बटन दबाता है और दूसरी तरफ कंटेस्टेंट के हाथ में बंधे बैंड में करंट दौड़ जाता है. जरा सोचिए कोई रिमोट इतना पावर फुल कैसे हो सकता है कि इतनी रेंज में काम करे. यही एक वजह है कि लगता है बिग बॉस किसी और मामले में बेवकूफ बनाएं या ना बनाएं लेकिन इस मामले में तो पब्लिक को फुद्दू जरूर बना रहे हैं. 



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Saturday, 26 October 2024

सलमान खान ने करण वीर मेहरा के सिर पर फोड़ा सच्चाई का बम, बोले- 20-25 साल बाद पैदा हुआ होते तो...

बिग बॉस 18 में वीकेंड का वार में सलमान खान की एंट्री होगी तो किसी ना का किसी का तो बैंड बजेगा ही. सलमान खान का कंटेस्टेंट का बैंड बजाना ही तो वीकेंड का वार की यूएसपी बन चुकी है. बिग बॉस 18 के इस वीकेंड का वार में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. पहले सलमान खान ने अविनाश मिश्रा की क्लास ली तो उसके बाद बारी आई करण वीर मेहरा की. सलमान खान ने करण वीर को जमकर निशाने पर लिया. भाईजान करण वीर मेहरा का दोहरा चेहरा सामने लाए.

सलमान खान ने करण वीर मेहरा के बारे में कहा कि वो दूसरों के कंधे पर रखकर तीर चलाते हैं. उन्होंने करण वीर मेहरा को समझाया कि खुलकर खेलो और छिप-छिपकर खेलना बंद करो. इस तरह सलमान खान ने करण वीर को सीधा इशारा कर दिया है कि गेम को इस तरह खेलो की साफ नजर आओ. यही नहीं, सलमान खान ने घर के सभी सदस्यों के सामने उनकी पोल भी खोलकर रख दी है. वैसे भी करण वीर मेहरा को घर के सदस्यों को अकसर भड़काते हुए देखा जा सकता है. यही नहीं, सलमान खान ने करण वीर मेहरा का खूब मजाक भी बनाया. उन्होंने कहा कि करण वीर मेहरा अगर तुम जब पैदा हुए, उसके 20-25 साल बाद पैदा हुए होते जमकर रील बनाते और 60-70 मिलियन फॉलोअर्स होते.

सलमान खान के सामने करण वीर मेहरा ने अपना पक्ष रखा और उन्होंने श्रुतिका, चुम दरंग और शिल्पा शिरोडकर को लेकर भी बातें कहीं. सलमान खान ने साफ कहा कि करण वीर मेहरा बाकी लोगों को भड़काने का काम करते हैं. करण के इस रवैये को लेकर सलमान खान ने कई तरह की मिसालें भी पेश की हैं. इस तरह करण वीर को आईना दिखाया गया.



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महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव : कांग्रेस की तीसरी सूची में 16 नाम, अब तक कुल 87 उम्‍मीदवार घोषित

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) को लेकर महाविकास अघाड़ी और महायुति की पार्टियां लगातार अपने उम्‍मीदवारों का ऐलान कर रही है. शनिवार को कांग्रेस ने महाराष्‍ट्र चुनाव के लिए उम्‍मीदवारों की तीसरी सूची (Congress candidates third list) जारी की है. इस सूची में 16 उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है. तीनों सूचियों को मिलाकर कांग्रेस अब तक 87 उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है. 

कांग्रेस की तीसरी सूची में पार्टी ने दिगरास से माणिकराव ठाकरे को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं पर पार्टी ने बांद्रा पश्चिम से आसिफ जकरिया और अंधेरी पश्चिम से सचिन सावंत को टिकट दिया गया है. कांग्रेस ने मालेगांव मध्य से एजाज बेग को उम्मीदवार बनाया है, जबकि यह सीट समाजवादी पार्टी अपने लिए मांग रही थी. 

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इससे पहले कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची में 23 उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान किया था तो पहली सूची में 48 उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया था. 

कई दिनों के गतिरोध के बाद महा विकास अघाड़ी ने बुधवार को 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा चुनाव के लिये सीट बंटवारे को लेकर फॉर्मूले की घोषणा की थी. इसके तहत शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राकांपा (एसपी) के 85-85 सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की गई थी. कुछ सीटों को लेकर अब भी गतिरोध है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी. 



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Friday, 25 October 2024

तैमूर के साथ अपने प्रोग्राम्स डिस्कस करती हैं करीना कपूर, बताया क्राइम अगेंस्ट वीमेन रोकने में कैसे हेल्पफुल हो सकती है ऐसी आदत

देश में बीते दिनों बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं जो महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी हुई हैं. ऐसी घटनाओं पर बॉलीवुड के स्टार्स का अपना नजरिया है. करीना कपूर ने ऐसे मामलों के खिलाफ खुलकर बात की है. उन्होंने एनडीटीवी के वर्ल्ड समिट में इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. और, नए जमाने की मम्मियों को भी खास मैसेज दिया. उन्होंने बताया कि सोच बदलने की शुरुआत किस तरह से उन्होंने अपने घर से ही की है. और, हर मां को उसी तरह घर से बदलाव लाने की शुरुआत कर देनी चाहिए. आप भी जानिए किस तरह के बदलाव की करीना कपूर ने हिमायत की है.

बेटों से करें बात

करीना कपूर से एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में सवाल हुआ कि वो किस तरह के सामाजिक बदलावों की बात करती हैं जब महिलाओं से जुड़े किसी भी क्राइम के बारे में सुनती हैं. इस सवाल पर करीना कपूर ने कहा कि किसी भी बदलाव की शुरुआत घर से ही होती है. उन्होंने कहा कि ये वो समय है जब माओं को सिर्फ बेटियों को ही सिखाते रहना काफी नहीं है. बल्कि हर मां को बेटों को भी समझाइश देनी होगी. हो सकता है ये मां और बेटों के बीच का कंफर्टेबल जोन न हो. लेकिन जरूरी है कि सभी मम्मियां अपने बेटों से बात करें और उन्हें बताएं कि जमाना कितना बदला है. और, उसी के अनुसार अब लड़कियों को देखने और समझने का नजरिया भी बदलना होगा.

एक्शन स्पीक्स लाउडर देन वर्ड

करीना कपूर ने आगे कहा कि बच्चे किसी भी बात को सुनने से ज्यादा उसे देखकर समझते हैं. यानी, कि घर वालों के एक्शन से वो ज्यादा बातें समझते हैं. करीना कपूर ने अपने बेटे तैमूर के हवाले से इसका एग्जांपल दिया. करीना कपूर ने कहा कि वो तैमूर से हमेशा डिसकस करती हैं कि वो किस काम से जा रही हैं. वो आगे क्या करने वाली हैं. और, तैमूर उस से जुड़े सवाल करते हैं तो उन्हें प्रॉपर तरीके से जवाब भी देती हैं. करीना कपूर ने कहा कि इसी तरह मम्मियों को बेटों को ये समझाना पड़ेगा कि महिलाएं भी काम पर बाहर निकलती हैं और उन्हें किस तरह का माहौल मिलना चाहिए.



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Thursday, 24 October 2024

"आदित्य ठाकरे की हिम्मत नहीं हुई..." नामांकन पर भड़के संजय निरुपम; कही दी बड़ी बात

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में आपसी फूट है और उनके घटक दल एक-दूसरे से लड़ रहे हैं.  महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. मुंबई की वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे ने नामांकन भर दिया है. इससे पहले उन्होंने रोड शो भी किया.  Sanjay Nirupam ने वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे के नामांकन पर हमला करते हुए कहा कि उनकी हिम्मत नहीं के वो एकनाथ शिंदे के सामने लड़े. देखिए पूरी बातचीत.

संजय निरुपम ने NDTV से बात करते हुए कहा, “महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे के नाम पर जो आग लगी है वह बुझने का नाम नहीं ले रही है. पिछले तीन दिन से महाविकास अघाड़ी गठबंधन के नेताओं की ताबड़तोड़ बैठकें हो रही हैं. दिल्ली में कांग्रेस बैठक कर रही है और यहां पर शरद पवार और उनके सभी प्रतिनिधि बैठक कर रहे हैं. उनका अभी तक कोई फार्मूला निकला नहीं है."

उन्होंने कहा, “मजेदार बात यह है कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को इन बैठकों से निकालकर बाहर फेंक दिया गया है. शरद पवार के चौहान सेंटर में आज सुबह एमवीए की तीनों पार्टियों की एक प्रेस कांफ्रेंस होने वाली थी. ऐसा बताया जा रहा था कि इस बैठक में गठबंधन सीटों के बंटवारे की घोषणा करने जा रहा है. अचानक वह प्रेस कांफ्रेंस रद्द कर दी गई. इसका सीधा मतलब है कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) में गतिरोध बढ़ता जा रहा है.”

इसके बाद उन्होंने कहा, “उनका अभी भी कोई फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. इसका सीधा मतलब यह है कि जब सीटों के बंटवारे पर दोनों पार्टियों में इतने मतभेद हैं, इतने झगड़े हैं तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव लड़ते वक्त ये लोग कितना झगड़ा करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. जब अभी ही इतने झगड़े हैं तो महाराष्ट्र को बचाने के दौरान वह कितना झगड़ा करेंगे."

उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी एक बहुत ही बिखरा हुआ संगठन है. महाविकास अघाड़ी की गाड़ी कहीं जा कर अटक गई है. ऐसे महाविकास अघाड़ी को रोकना चाहिए. महाराष्ट्र के लोग ऐसे महाविकास अघाड़ी को जानते हैं. महाराष्ट्र के मतदाता इन्हें कभी सत्ता में नहीं आने देंगे, क्योंकि इन्हें महाराष्ट्र की चिंता नहीं है. इन्हें महज अपने लिए कुर्सी की चिंता है.”



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कनाडा में भारतीय छात्रों को कैसे गुमराह करते हैं खालिस्तानी... भारत लौटे राजनयिक संजय वर्मा ने समझाया

कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव के बीच वहां से लौटे हाई कमिश्नर संजय वर्मा (Sanjay Verma) ने जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया है. गुरुवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में संजय वर्मा ने बताया कैसे जस्टिन ट्रूडो सरकार खालिस्तानियों को राजनीतिक संरक्षण देती है. संजय वर्मा ने यह भी बताया कि कनाडा में भारतीय छात्रों को खालिस्तानी समर्थक और कट्टरपंथी संगठन कैसे बरगलाते हैं.

संजय वर्मा Exclusive: कनाडा से लौटे भारतीय उच्चायुक्त ने खोला ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा, इनके अपमान से भड़का था भारत

भारत में वापस बुलाए गए हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा ने कहा कि कनाडा में भारतीय छात्रों को अपने आसपास के बारे में जागरूक रहना चाहिए. खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से उन्हें दूर रहना चाहिए. क्योंकि ये संगठन भारत के खिलाफ अपना मोटिव साधने के लिए भारतीय छात्रों को गुमराह करने का काम करते हैं.

वो करें तो बोलने की आज़ादी, हम करें तो गुनाह : कनाडा को एस जयशंकर की खरी-खरी

संजय वर्मा ने कनाडा में रह रहे भारतीय छात्रों के परिवार से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों ने नियमित रूप से बात करें. उनकी स्थिति को समझने की कोशिश करें. उन्हें बेवकूफी वाले विकल्पों से दूर रहने को कहे. संजय वर्मा ने कहा, "कनाडा में इस समय खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से बड़े भारतीय समुदाय को खतरा है. इनमें भारतीय छात्र भी शामिल हैं. 2023 के आंकड़ों को मुताबिक, कनाडा में इस समय करीब 319,000 भारतीय छात्र रहते हैं.

कनाडा में भारत का स्वागत नहीं
संजय वर्मा ने कहा, "भारत से जब बच्चों को कनाडा भेजा जाता है, तो यह समझकर भेजा जाता है कि वो वहां सुरक्षित रहेंगे. कनाडा की सोसाइटी बिल्कुल भारत की सोसाइटी जैसी ही है. वो अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं. लेकिन, अभी की सरकार से हमें ऐसा महसूस हुआ कि भारत का वहां स्वागत नहीं है." 

खाना और पैसे का लालच देकर करते हैं टारगेट
संजय वर्मा ने कहा, "खालिस्तानी आतंकी आसानी से भारतीय छात्रों को टारगेट करते हैं. क्योंकि कनाडा में अभी जॉब की कमी है. भारतीय छात्रों को खालिस्तानी खाना और पैसे का लालच देकर भारत विरोधी प्रदर्शनों में ले जाते हैं. कई बार तो उन्हें डराया और धमकाया तक जाता है."

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मुट्ठीभर खालिस्तानी अच्छे समाज को कर रहे खत्म
वर्मा ने कहा, "हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है. जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए. कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे हैं. ये कट्टरपंथी पैसे का लालच देकर और डराकर भारतीयों को भारत विरोधी प्रदर्शन में ले जाते हैं. कुछ लोग इसलिए भी प्रदर्शन में आते है कि अगर वो भारत विरोधी प्रदर्शन में तस्वीर आ जाती है, तो वो लोग असाइलम के लिए एप्लाई कर पाएंगे. वहां का सिस्टम इस तरह की गलतियों को पकड़ भी नहीं पाता है. निज्जर ने भी यही किया था."

संजय कुमार वर्मा 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं. कनाडा से पहले उन्होंने जापान, सूडान, इटली, तुर्किए, वियतनाम और चीन में काम किया है. साल 2022 में वो कनाडा के हाई कमिश्नर नियुक्त हुए थे.

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Wednesday, 23 October 2024

राज ठाकरे के बेटे के खिलाफ उद्धव ठाकरे और शिंदे ने उतारा उम्मीदवार, जानिए क्या कह रहे जानकार 

Maharashtra Assembly Election: ठाकरे परिवार के एक और सदस्य अमित ठाकरे (Amit Thackeray) की चुनावी पारी शुरू हो रही है. राज ठाकरे (Raj Thackeray) के बेटे अमित ठाकरे को माहिम से टिकट मिला है, लेकिन सामने हैं शिवसेना के सदा सरवणकर और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के महेश सावंत! इसके चलते महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब सबसे दिलचस्प मुकाबला अब माहिम विधानसभा क्षेत्र में होगा. दादर-माहिम चुनावी क्षेत्र में लड़ाई त्रिकोणीय है, क्योंकि एमएनएस और शिवसेना के दोनों ठाकरे-शिंदे गुट आपस में भिड़ रहे हैं. आदित्य ठाकरे के बाद अब अमित ठाकरे परिवार के दूसरे ऐसे सदस्य हैं जो चुनावी राजनीति में कदम रख रहे हैं. 

उद्धव के उम्मीदवार क्या बोले

एमएनएस के अविनाश जाधव ने कहा कि अमित ठाकरे का लड़ना पार्टी को बड़ी ताक़त देगा. किसी के समर्थन की हमें ज़रूरत नहीं. उद्धव गुट के इस सीट से उम्मीदवार महेश सावंत ने कहा कि हम सभी कड़ी मेहनत करेंगे और फिर से माहिम विधानसभा क्षेत्र, प्रभादेवी, दादर पर शिवसेना का भगवा फहराएंगे. चाहे कितनी भी चुनौती हो, दिन-रात जनता से मिलने वाला प्रत्याशी जनता से मिल चुका है, जनता के मन का प्रत्याशी मिल चुका है. इसलिए हमें किसी से चुनौती महसूस नहीं होती. हम उसी तरह काम करने जा रहे हैं, जैसे बाला साहेब की शिव सेना और उद्धव साहेब की शिव सेना काम करती है. अंत में जीत ठाकरे समूह की होगी. हम आपसे 23 तारीख को बात करेंगे. उद्धव ठाकरे ने हमसे कहा कि मुझे और कुछ नहीं चाहिए, मैं माहिम पर भगवा फहराना चाहता हूं.

क्या बोले विश्लेषक

जहां महायुति से चर्चा के बाद अमित ठाकरे को सुरक्षित सीट दिलाने की राज ठाकरे की रणनीति की खूब चर्चा हो रही थी, वहां अब ये त्रिकोणीय उम्मीदवारी की तस्वीरों के कई अपने मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक जयंत माइंकर बताते हैं कि मुझे नहीं लगता राज ठाकरे ये सुसाइडल फ़ैसला करेंगे. अमित ठाकरे को पहली बार पूरी रणनीति बनाकर ही उतार रहे होंगे! दिखावे के लिए ये तस्वीर दिख रही है. शायद सदा सरवनकर अपना नॉमिनेशन वापस ले लें बाद में, कह नहीं सकते! 

एमएनएस कम नहीं

दरअसल, माहिम निर्वाचन क्षेत्र पर ऐतिहासिक रूप से एमएनएस और शिवसेना के बीच करीबी मुकाबला देखा गया है, जिसमें एमएनएस ने 2009 में माहिम की सीट जीती थी. 2014 में हारी, लेकिन 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में, एमएनएस के उम्मीदवारों ने शिवसेना के सदा सरवणकर को कड़ी टक्कर दी थी.

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Tuesday, 22 October 2024

बेंगलुरु में भारी बारिश से हाहाकार! चारों ओर पानी ही पानी, VIDEO से समझिए कैसे हैं हालात

कर्नाटक में भारी बारिश के कारण सामान्‍य जन जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है. बारिश ने सबसे ज्‍यादा कहर बेंगलुरु में मचाया है. यहां पानी से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. शहर में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं, निर्माणाधीन इमारत ढह जाने के कारण 1 की मौत भी हो गई है.

बेंगलुरु में कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ा है. शहर में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मुख्य सड़कों पर फिर से गड्ढे हो गए हैं, जिससे दोपहिया वाहन चालकों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. गड्ढों और जलभराव के कारण कारों और भारी वाहनों की आवाजाही भी बाधित हुई है. यहां से जल तबाही के खई वीडियो भी सामने आए हैं.

अपार्टमेंट के परिसरों में भरा पानी
बाबूसापल्या में भारी बारिश के बीच मंगलवार को एक निर्माणाधीन इमारत के ढह जाने से उसकी चपेट में आकर एक मजदूर की मौत हो गई. भारी बारिश से कुछ अपार्टमेंट के परिसरों में पानी भर गया. 

कर्नाटक सरकार ने कुछ अपार्टमेंट के निवासियों को आठ दिन के लिए दूसरी जगह पर शिफ्ट होने के लिए कहा है. परिसर में बारिश का पानी भर जाने की वजह से निवासियों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है.

यलहंका के केंद्रीय विहार में कमर तक पानी भरा हुआ है. बचावकर्मियों ने लोगों को नौका की मदद से बाहर निकाला है. जलजमाव के कारण उत्तर बेंगलुरु में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कई यात्रियों की उड़ान, ट्रेन और बसें छूट गईं. जलजमाव वाले इलाकों में बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.

निचले इलाकों में कई मकानों में पानी घुस गया है और पास की झीलों में पानी उफान पर है. वाहनों और बिजली के सामान को नुकसान पहुंचा है.

क्या है मौसम विभाग का अपडेट?
आईएमडी ने कहा है कि चिक्काबल्लापुर, चिकमंगलूर, कोलार, बेंगलुरु शहरी, बेंगलुरु ग्रामीण जिलों में अलग-अलग स्थानों पर बादल गरजने के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है. इसके अलावा, उत्तर कन्नड़, उडुपी, धारवाड़, गडग, ​​बेलगावी, हावेरी, दावणगेरे, बल्लारी, मांड्या, मैसूरु, रामानगर और चामराजनगर जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश और गरज के साथ वर्षा होने की संभावना है.



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Monday, 21 October 2024

कितने नेता पीएम मोदी की तरह रूस और यूक्रेन जाकर अपनी बात खुलकर कह सकते हैं : विदेश मंत्री जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयंशंकर ने भारत और पीएम मोदी पर दुनिया के बढ़ते भरासे का जिक्र करते हुए कहा कि आज दुनिया में बहुत कम ऐसे नेता हैं जो रूस के बाद यूक्रेन का दौरा कर सकते हैं और दोनों जगहों पर अपनी बात खुलकर रख सकते हैं.

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी रूस गए और उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. फिर वे कीव गए. पिछले 10 वर्षों पर नजर डालें. अभी यूक्रेन में युद्ध चल रहा है. कितने देश, कितने प्रधानमंत्री, कितने नेता, मॉस्को जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, कीव जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, मॉस्को जा सकते हैं और फिर कीव जा सकते हैं?"

जयशंकर ने कहा, "इसी तरह, मध्य पूर्व में एक और युद्ध चल रहा है. अब, बहुत से लोग नहीं जानते कि पिछले साल भी, हमने ईरान और इजरायल के साथ कितनी बार बातचीत की है. लोगों को हम पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे."

डबल स्टैंडर्ड कनाडा के लिए बहुत हल्का शब्द... विदेश मंत्री ने समझाया भारत ने क्यों बुलाए राजदूत

देश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुए भारत-चीन समझौते को 'सकारात्मक कदम' बताया. हालांकि उन्होंने परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी.

इससे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार दोपहर घोषणा की कि पिछले कई हफ्तों से चल रही चर्चाओं के बाद दोनों देश एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौते पर पहुंचे हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों की वापसी हुई और अंततः जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में उत्पन्न मुद्दों का समाधान हो रहा है.

"हमारे हितों के खिलाफ नहीं किया कोई काम..." : विदेश मंत्री ने बताई भारत से कैसी है रूस की दोस्ती

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह समझौता, उस शांति और सौहार्द का आधार तैयार करता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में होना चाहिए और जो 2020 से पहले मौजूद भी था. पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत की यही प्रमुख चिंता रही है.

हालांकि, विदेश मंत्री ने सावधानी बरतने और परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी. उन्होंने जोर देकर कहा कि समझौता अभी हुआ है और अगले कदमों की योजना बनाने के लिए चर्चा और बैठकें होंगी.



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Sunday, 20 October 2024

अयोध्या विवाद के समाधान के लिए ईश्वर से प्रार्थना की थी: CJI चंद्रचूड़

देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने रविवार को कहा कि उन्होंने अयोध्‍या विवाद (Ayodhya Dispute) के समाधान के लिए ईश्वर से प्रार्थना की थी और कहा कि अगर आस्था हो तो ईश्वर कोई भी रास्ता निकाल देते हैं. वह खेड़ तालुका में अपने पैतृक गांव कन्हेरसर के निवासियों को संबोधित कर रहे थे, जहां उनका अभिनंदन किया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘अक्सर हमारे पास मामले (निर्णय के लिए) आते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंच पाते. अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था. मैं ईश्वर के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें इसका समाधान ढूंढना होगा.''

भरोसा है तो ईश्‍वर रास्‍ता निकाल देंगे : CJI चंद्रचूड़ 

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, ‘‘मेरा विश्वास करें, यदि आपको भरोसा है, तो ईश्वर हमेशा कोई रास्ता निकाल देंगे.''

देश के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने नौ नवंबर, 2019 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करके उस विवादास्पद मुद्दे का निपटारा किया था जो एक सदी से भी अधिक पुराना था.

फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा थे चंद्रचूड़ 

पीठ ने यह भी फैसला दिया था कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा थे.

प्रधान न्यायाधीश इस वर्ष जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर गये थे और पूजा-अर्चना की थी.

राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह इस वर्ष 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित हुआ था.



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Saturday, 19 October 2024

क्या आपको पता है कितने दिन चलता है प्लेन का टायर? प्लेन के टायर क्यों नहीं फटते?

आसमान में प्लेन को अक्सर उड़ते देखा होगा. उड़ने से पहले रनवे पर ये टायर की मदद से चलते हैं और उतरते भी हैं. देखा जाए तो प्लेन का वजन बहुत ही ज्यादा भारी होता है. ऐसे में मन में जरूर सवाल उठ रहा होगा कि आखिर प्लेन के टायर कितने मजबूत होंगे, क्या टेकऑफ या लैंडिंग करते समय इसके टायर भी फटते हैं. ये आर्टिकल इन्हीं जवाबों के लिए लिखा गया है. आइए इन्ही सब सवालों के जवाब इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं. 

प्लेन के टायर की खासियत

विमान के टायर को बनाने के लिए खास तरीके की चीज़ों को जोड़ा जाता है. यह रबर, स्टील और कपड़े की कई परतों से बने होते हैं. इसकी मदद से ये टायर काफी मजबूत होते हैं, जो विषम परिस्थिति में भी विमान को टेकऑफ, लैंडिंग में मदद करते हैं. एयर इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी शेयर की है. हवाई जहाज के टायरों में कार के टायरों की तुलना में छह गुना अधिक दबाव होता है. जानकारी के मुताबिक, एक सामान्य हवाई जहाज का टायर लगभग 500 लैंडिंग तक चल सकता है, जिसके बाद आमतौर पर ऊपरी सतह को बदल दिया जाता है.

प्लेन के टायर क्यों नहीं फटते?

हवाई जहाज के टायर गाड़ियों के टायर से अलग बनाए जाते हैं. इसके टायरों में रबड़ के साथ कई और पदार्थ जैसे एल्युमीनियम और स्टील को भी मिक्स किया जाता है. हवाई जहाज के टायर में कार के टायर के मुकाबले 6 गुना ज्यादा प्रेशर से हवा भरी जाती है. इसलिए ये इतने वजन के भार को सहन कर पाते हैं. टायर को विमान में लगने से पहले कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. टेस्टिंग के बाद ही इसे सेवा में लाया जाता है. चूंकि, प्लेन के टायर कई पदार्थों से मिलाकर बनाए जाते हैं, इसलिए टायर की फटने की संभावना काफी कम रहती है.

कितने दिनों तक हो सकता है एक टायर का इस्तेमाल?

देखा जाए तो हवाई जहाज क्षमताओं के हिसाब से कई तरह के होते हैं. कुछ जहाज केवल मालवाहक होते हैं और कुछ यात्री वाहक ऐसे में टायर कितने दिनों तक इस्तेमाल में रहेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह अब तक कितनी फ्लाइट्स कर चुका है. जानकारी के मुताबिक, एक सामान्य हवाई जहाज का टायर लगभग 150-400 लैंडिंग तक चल सकता है, जिसके बाद आमतौर पर ऊपरी सतह को बदल दिया जाता है.

टायरों में भरी जाती है नाइट्रोजन गैस

हवाई जहाज के टायरों में नॉर्मल गैस की बजाय नाइट्रोजन गैस भरी जाती है, क्योंकि नाइट्रोजन गैस बाकी गैसों की तुलना में सूखी और हल्की होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, नाइट्रोजन गैस भरने से टायर पर तापमान और प्रेशर का कोई असर नहीं होता है. विमान को कई विषम परिस्थितयों से गुजरना पड़ता है, ऐसे में नाइट्रोजन गैस ही सबसे उपयुक्त है.

हवाई जहाज के टायरों को कई अनूठी विशेषताओं के साथ डिज़ाइन किया गया है जो उन्हें नियमित वाहन टायरों से अलग करते हैं. यहां कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं.
  1. उच्च भार क्षमता: हवाई जहाज के टायरों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये टेकऑफ और लैंडिंग के समय अच्छे से काम करे. इन्हें खास तरह से बनाया गया है.

  2. टिकाऊपन: टायर विशेष रबर यौगिकों से बने होते हैं जो टूट-फूट के साथ-साथ उच्च गति के प्रभावों के प्रति प्रतिरोध प्रदान करते हैं. उन्हें तापमान भिन्नता और जेट ईंधन के संपर्क सहित चरम स्थितियों का सामना करना होगा.

  3. उच्च दबाव: हवाई जहाज के टायरों को कार के टायरों की तुलना में बहुत अधिक दबाव तक फुलाया जाता है, आमतौर पर वाणिज्यिक विमानों के लिए 30 से 50 पीएसआई (पाउंड प्रति वर्ग इंच) के बीच. यह उच्च दबाव भारी भार के तहत संरचनात्मक अखंडता बनाए रखने में मदद करता है.

  4. ट्रेड डिज़ाइन: ट्रेड पैटर्न रनवे पर इष्टतम पकड़ के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान कर्षण प्रदान करते हैं. हाइड्रोप्लानिंग के जोखिम को कम करने के लिए ट्रेड पानी को दूर ले जाने में भी मदद करता है.

  5. गर्मी प्रतिरोध: लैंडिंग के दौरान, घर्षण के कारण टायरों में काफी गर्मी जमा हो सकती है. हवाई जहाज के टायरों को फटने से बचाने के लिए गर्मी को प्रभावी ढंग से नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

  6. एकाधिक परतें: मजबूती और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए उनमें अक्सर स्टील बेल्ट सहित विभिन्न सामग्रियों की कई परतें होती हैं. यह स्तरित निर्माण झटके और प्रभावों को अवशोषित करने में मदद करता है.

  7. सुरक्षा सुविधाएं: कई विमानों के टायर टायर की स्थिति और प्रदर्शन की निगरानी के लिए घिसाव संकेतक और दबाव सेंसर जैसी सुविधाओं से सुसज्जित होते हैं.

  8. विशिष्ट रखरखाव: सुरक्षा और प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए हवाई जहाज के टायरों को कठोर निरीक्षण और रखरखाव प्रोटोकॉल से गुजरना पड़ता है. विशिष्ट टूट-फूट मानदंडों के आधार पर उन्हें अक्सर दोबारा तैयार किया जाता है या बदल दिया जाता है.

ये विशेषताएं यह सुनिश्चित करने के लिए संयोजित होती हैं कि हवाई जहाज के टायर विमानन के मांग वाले वातावरण में प्रभावी ढंग से प्रदर्शन कर सकते हैं.



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1992 जेजे अस्पताल गोलीकांड : वांछित आरोपी को 32 साल बाद उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार

मुंबई पुलिस के ‘एंटी एक्सटॉर्शन सेल' ने 1992 के चर्चित जेजे अस्पताल गोलीकांड के मुख्य आरोपी को घटना के 32 साल बाद उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया है. अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान त्रिभुवन सिंह उर्फ श्रीकांत राय रमापति के तौर पर की गई है. उन्होंने बताया कि 12 सितंबर 1992 में हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हुई थी.

अधिकारी ने बताया कि हाल में पुलिस जांच के दौरान जानकारी मिली कि सिंह विचाराधीन कैदी के रूप में उत्तर प्रदेश के कारागार में बंद है जिसके बाद उसकी हिरासत प्राप्त की गई.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी को मुंबई की विशेष अदालत में शनिवार को पेश किया गया जहां से उसे 25 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. मुंबई के सरकारी अस्पताल में चर्चित गोलीकांड अरुण गवली और दाऊद इब्राहिम गिरोह के बीच लड़ाई का नतीजा था जो हसीना पार्कर के पति इब्राहिम पार्कर उर्फ इब्राहिम लम्बू के मारे जाने से शुरू हुआ था.

पुलिस के अनुसार, हत्या के बाद गवली गिरोह के संदिग्ध सदस्यों विपिन शेर और शैलेश हलदनकर को भीड़ ने पीटा और जेजे अस्पताल में भर्ती कराया. पुलिस के मुताबिक 12 सितंबर 1992 को दाऊद इब्राहिम गिरोह के बृजेश सिंह और सुभाष सिंह सहित शूटरों ने एके47 और रिवाल्वर से गोलीबारी की और हथगोले छोड़े जिसमे हलदनर और दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई.

पुलिस ने इस मामले में 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अदालत ने सुभाष सिंह ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि 2018 में पुलिस ने फरार आरोपी मोहम्मद फारूक यासीन मंसूर को भी गिरफ्तार कर लिया. वह अभी हिरासत में है.



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Friday, 18 October 2024

पाकिस्तान की 'शराफत' पर क्यों नहीं किया जा सकता भरोसा, वो 7 मौके जब भारत को मिले गहरे घाव

भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) बढ़ते कर्ज से परेशान है. भूख से बेहाल है. आतंकियों को पनाह देकर दुनिया में बदनाम है. वह अपनी हर नाकामी के लिए भारत पर निशाना साधता रहा है, लेकिन अब अचानक से भारत के साथ रिश्ते सुधारने की बातें कर रहा है. आतंकवाद (Pakistan Terrorism) का पर्याय बन चुके पाकिस्तान की अब अमन और शांति में दिलचस्पी बढ़ गई है. इसके लिए वह भारत से आतंकी हमले और बीती बातें भूलने की गुहार लगा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)ने भी जब दोस्ती का हाथ बढ़ाया, तो पाकिस्तान ने आतंकी हमले कर जख्मों को हरा किया है. अब वह PM मोदी को बुलाकर रिश्ते सुधारने की बात कर रहा है. 

आइए जानते हैं आखिर हमेशा पीठ में छुरा घोंपने वाला पाकिस्तान अचानक से इतना शरीफ कैसे हो गया? उसके सुर अचानक क्यों बदल गए? कहीं इसके पीछे कोई बड़ी साजिश तो नहीं? क्या नवाज शरीफ के बयानों पर भारत भरोसा कर सकता है:-

भारत और पाकिस्तान दो ऐसे मुल्क हैं, जो एक साथ अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुए. बीते 75 सालों के इतिहास को खंगाले, तो ये कहने की जरूरत नहीं कि भारत आज कहां खड़ा है और पाकिस्तान किस हालत में हैं. करगिल जंग के वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे और वर्तमान में पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी PML-N के सर्वेसर्वा नवाज शरीफ ने सार्वजनिक तौर पर भारत से रिश्ते सुधारने की वकालत कर दी है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO समिट) के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के बाद भारतीय पत्रकारों से नवाज शरीफ ने कई शराफत भरी बातें की. 

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नवाज शरीफ ने क्या कहा?
नवाज शरीफ ने कहा, "भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक नई शुरुआत है. शांति की प्रक्रिया रुकनी नहीं चाहिए. आप अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते. लेकिन हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. हमने 75 साल गंवा दिए हैं, अगले 75 सालों के बारे में सोचें."

शरीफ ने कहा, "पहले ऐसी चीजें हुई हैं, जो नहीं होनी चाहिए थीं. भारत-पाकिस्तान के बीच कारोबार फिर शुरू हो. दोनों देशों के बीच क्रिकेट फिर से शुरू हो. इमरान खान की वजह से भारत से रिश्ते और खराब हुए. लेकिन हमें अतीत को पीछे छोड़कर भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए."

नवाज क्यों हुए इतने शरीफ?
नवाज शरीफ पाकिस्तान के उन गिने चुने नेताओं में से रहे हैं, जो भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाये रखने के लिए कई बार पैरोकारी कर चुके हैं. नवाज शरीफ इस बार जो शराफत का जामा पहनकर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, उसपर भारत बहुत संभलकर चलना चाहता है. 

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पाकिस्तानी फौज की दखलंदाज़ी के कारण वहां की सरकारें कहती कुछ रही हैं और करती कुछ औ ही रही हैं. यानी पाकिस्तान की कथनी और करनी में हमेशा फर्क रहा है. इतिहास में ऐसे सबूत मौजूद हैं, जो बताते हैं कि भारत ने जब-जब पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश की, उसकी पीठ में छुरा ही घोंपा गया. 

क्यों भरोसे के लायक नहीं पाकिस्तान?
पाकिस्तान के अलग मुल्क बनने से लेकर शिमला समझौते और फिर लाहौर समझौते तक भारत को हमेशा सिर्फ धोखा और दगाबाजी ही मिली है. ऐसे 7 मौके आए, जब भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और पाकिस्तान ने धोखा दिया:-

पहला धोखा
-पाकिस्तान ने अलग मुल्क बनते ही सबसे पहला धोखा दिया. 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे के लिए कबाइलियों को भेजा. संघीय शासित कबायली इलाका (फाटा) पाकिस्तान का अर्द्ध स्वायत्त प्राप्त कबायली क्षेत्र था. यह 1947 से 2018 तक अस्तित्व में रहा. इसका विलय ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में कर दिया गया. इस क्षेत्र में लगभग सभी पठान हैं.

दूसरा धोखा
-पाकिस्तान ने 1958 में भारत को दूसरा धोखा दिया. दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए थे. लेकिन इन समझौतों को तोड़ते हुए पाकिस्तान ने 1965 में जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया.

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तीसरा धोखा
-पाकिस्तान ने 1971 में भारत पर हवाई हमले किए. भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. बाद में पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बना.

चौथा धोखा
-भारत को पाकिस्तान की तरफ से चौथा धोखा 1999 में मिला. अटल बिहारी वाजपेयी ने पड़ोसी मुल्क से रिश्ते सुधारने की पहल की. वाजपेयी लाहौर पहुंचे, नवाज शरीफ को गले लगाया. लेकिन, इसके कुछ महीनों बाद पाकिस्तान ने करगिल में जंग छेड़ दी.

पांचवां धोखा
-पाकिस्तान ने 2001 में भारत को पांचवां धोखा दिया. परवेज मुशर्रफ को भारत आने का न्योता दिया गया था. मुशर्रफ आगरा आए, अटल बिहारी वाजपेयी से मिले. इसके कुछ ही महीनों बाद संसद पर आतंकी हमला हो गया. 

छठा धोखा
-पाकिस्ता ने 2008 में छठा धोखा दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिश्ते सुधारने की कोशिश की. लेकिन 26 नवंबर को पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया.

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सातवां धोखा
-2015 में PM मोदी ने पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की पहल की. काबुल से लौटते हुए PM मोदी ने फोन करके नवाज  शरीफ को बर्थडे विश किया. शरीफ तब अपनी नातिन की शादी के लिए लाहौर में थे. उन्होंने PM मोदी से लाहौर में मिलने की इच्छा जताई. मोदी भी राजी हो गए. काबुल से लौटते हुए मोदी अचानक लाहौर उतर गए. उन्होंने 90 मिनट तक नवाज शरीफ से मुलाकात की. इंटरनेशनल मीडिया में PM मोदी की डेप्लोमेसी को मास्टरस्ट्रोक बताया गया. लेकिन इसके अगले ही साल 2016 में पठानकोट में पाकिस्तान के आंतकियों ने वायुसेना एयरबेस पर हमला कर दिया.

किन मुश्किलों से घिरा हुआ है पाकिस्तान?
आतंक को पनाह देने वाला पाकिस्तान आज की तारीख में एक से बढ़ कर एक मुसीबतों से घिरा हुआ है. शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब पाकिस्तान में सियासी अस्थिरता न देखी गई हो. 10 अप्रैल 2022 को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव सफल रहने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता से बाहर हो गए. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इसके बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए और कई दिनों तक पूरे पाकिस्तान में अफरातफरी मची रही.

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यही हाल पाकिस्तान के बलूचिस्तान और POK का है. हाल ही में पाकिस्तान सरकार के अत्याचारों से परेशान होकर लोगों ने पाकिस्‍तान की सरकार के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद कर दिया. बलूचिस्‍तान के लोगों का दमन कोई नया नहीं है. वहां के लोग इस कदर पाकिस्‍तानी हुकूमत की बेरहमी से त्रस्‍त हैं. बलूचों के सबसे बड़े विद्रोही गुट बलूचिस्‍तान लिबरेशन फ्रंट ने आजादी के लिए भारत से समर्थन की मांग की है. आतंकवाद को पनाह देने, बलूचिस्तान में लोगों के दमन, फौजी हुकूमत, सत्ता संघर्ष और जबरदस्त भ्रष्टाचार के चलते पाकिस्तान कंगाली के रास्ते पर बहुत आगे बढ़ चुका है.

कैसी है पाकिस्तान की आर्थिक हालत?
-पाकिस्तान में महंगाई आसमान पर है.
-यहां डेढ़ लाख नौकरियों की कटौती की गई है.
-फंड की कमी के चलते 6 मंत्रालय भंग कर दिए गए हैं.
-IMF से 7 अरब डॉलर लोन लेने के लिए की कटौती है.
-वित्त वर्ष 2025 के लिए 26.2 अरब डॉलर का कर्ज लिया गया है.
-इसमें से पाकिस्तान को एक साल में 30.35 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है.
-इस मुल्क में 40.5% से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रही है.
-2023-24 में अकेले LIC का फंड पाकिस्तान की GDP का दोगुना है.
-LIC का फंड 614.21 बिलियन डॉलर था. पाकिस्तान की GDP 338.24 बिलियन डॉलर थी.


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यूक्रेन में युद्ध: रूस प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जताई गई चिंता के लिए उनका आभारी है-पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह यूक्रेन में युद्ध के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जताई गई चिंता को लेकर उनके आभारी हैं. यहां मीडिया से बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में भारत की भूमिका देखते हैं, तो उन्होंने मोदी के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया और उन्हें (मोदी को) अपना ‘मित्र' बताया और कहा कि उनका देश इसके लिए आभारी है.

पुतिन ने कहा कि युद्ध समाप्त करने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित करना कठिन है. उन्होंने रूस को युद्ध में धकेलने के लिए अमेरिका और नाटो को दोषी ठहराया तथा कहा कि उनका देश विजयी होगा.

उन्होंने कहा कि रूसी सेना दुनिया की सबसे अधिक प्रभावी और उच्च तकनीक वाली सेनाओं में से एक बन गई है और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) “हमारे खिलाफ यह युद्ध लड़ते-लड़ते थक जाएगा.''

पुतिन ने एक दुभाषिया के माध्यम से विदेशी पत्रकारों के एक चुनिंदा समूह से कहा, ‘‘हम बढ़त हासिल करेंगे. हम जीतेंगे.'' रूसी नेता ने शांति वार्ता की इच्छा व्यक्त की और यूक्रेन पर पहले के प्रयासों से पीछे हटने का आरोप लगाया. कुछ सप्ताह पहले अपने वक्तव्य में पुतिन ने कहा था कि रूस इस मुद्दे पर भारत, चीन और ब्राजील के संपर्क में है.



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Thursday, 17 October 2024

और कितने दिन भारत में रहेंगी शेख हसीना? अरेस्ट वॉरेंट जारी होने पर विदेश मंत्रालय ने बताया

बांग्लादेश में 5 अगस्त तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना (Sheikh Hasina) तख्तापलट के बाद से भारत में रह रही हैं. भारत में रहते हुए उन्हें 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. गुरुवार को बांग्लादेश (Bangladesh) की एक अदालत ने शेख हसीना की गिरफ्तारी के आदेश दिए. इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी. शेख हसीना 20 साल बांग्लादेश की सत्ता में रहीं. वो 23 जून को 1996 में पहली बार पीएम बनी थीं.

विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पहले शॉर्ट नोटिस पर भारत आई थीं. फिलहाल वो भारत में ही रहेंगी." हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया था कि हसीना भारत में कितने समय तक रुकेंगी. साथ ही उनकी आगे की मंजिल क्या होगी. 

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पहले शेख हसीना के भारत से लंदन जाने की अटकलें थी. लेकिन लंदन से उन्हें क्लियरेंस नहीं मिला. इसके बाद उनके अमेरिका और फिनलैंड तक जाने की चर्चाएं थी. अब भारत सरकार का बयान आया है.

कब और किन परिस्थितियों में भारत आईं शेख हसीना?
बांग्लादेश में कई महीनों से आरक्षण को लेकर छात्रों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा था. 5 अगस्त को ये हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो गया. प्रदर्शनकारी PM हाउस में घुस आए थे. हालात इतने बिगड़ गए कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. उसी दिन वो आनन-फानन में भारत पहुंची थीं. दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजित डोभाल ने उनसे करीब एक घंटे बातचीत की थी. इसके बाद भारत सरकार ने बेहद गोपनीयता और कड़ी सुरक्षा के बीच शेख हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना के रहने का इंतजाम किया था.

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विदेश मंत्री ने दिया था बयान
बांग्लादेश मामले को लेकर सरकार ने अगले दिन सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ''शेख हसीना ने शॉर्ट नोटिस में भारत आने की मंजूरी मांगी. हमें उसी समय बांग्लादेश के अधिकारियों से उड़ान की मंजूरी का अनुरोध मिला था. फिलहाल वो यहीं रहेंगी. वो डरी हुई हैं. इसलिए आगे का फैसला करने के लिए उन्हें वक्त की जरूरत है. भारत सरकार ने उनसे अपना स्टैंड साफ करने को कहा है."

इससे पहले अमेरिका के वॉशिंगटन में रहने वाले शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा था कि शेख हसीना राजनीति से रिटायरमेंट लेने पर विचार कर रही हैं. वह अब परिवार के साथ समय गुजारना चाहती हैं.

बांग्लादेश कोर्ट ने जारी किया अरेस्ट वॉरेंट
इस बीच बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को शेख हसीना समेत 45 लोगों के खिलाफ अरेस्ट वॉरेंट जारी किया है. इस लिस्ट में अवामी लीग के टॉप नेताओं का नाम भी शामिल है. उन सभी पर मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप है.

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Wednesday, 16 October 2024

न्याय की देवी के नए प्रतीक: कहां हुआ था लेडी ऑफ जस्टिस का जन्म, कहां से आई भारत? जानिए सब कुछ

न्याय सबके लिए है और न्याय की देवी के सामने सभी बराबर हैं. इस दार्शनिक सिद्धांत की प्रतीक न्याय की देवी (Lady of Justice) भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों की अदालतों, कानून से जुड़े संस्थानों में सदियों से मौजूद है. आंखों पर पट्टी बांधे, एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार लिए न्याय की देवी के प्रतीकों में भारत में बदलाव की पहल की गई है. न्याय की देवी की आंखों की पट्टी खोल दी गई है और उनके एक हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है. हम आपको बताते हैं कि न्याय की देवी का क्या अर्थ है, इसमें क्या संदेश और प्रतीक हैं? न्याय की देवी का जन्म कहां हुआ और इसे दुनिया भर में क्यों अपना लिया गया? 

लेडी ऑफ जस्टिस का इतिहास

न्याय की देवी यानी लेडी ऑफ जस्टिस का इतिहास कई हजार साल पुराना है. इसकी अवधारणा प्राचीन ग्रीक और मिस्र की सभ्यता के दौर से चली आ रही है. न्याय की देवी, जिसे लेडी जस्टिस भी कहते हैं, की प्राचीन छवियां मिस्र की देवी 'मात' से मिलती-जुलती हैं. मात मिस्त्र के प्राचीन समाज में सत्य और व्यवस्था की प्रतीक थीं. ग्रीक पौराणिक कथाओं में न्याय की देवी थीमिस और उनकी बेटी डिकी हैं, जिन्हें एस्ट्राया के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन यूनानी दैवीय कानून और रीति-रिवाजों की प्रतिमूर्ति देवी थेमिस और उनकी बेटी डिकी की पूजा करते थे. डिकी को हमेशा तराजू लिए हुए चित्रित किया जाता था और ऐसा माना जाता था कि वह मानवीय कानून पर शासन करती है. प्राचीन रोम में डिकी को जस्टिटिया के नाम से भी जाना जाता था. ग्रीक देवी 'थीमिस' कानून, व्यवस्था और न्याय का प्रतिनिधित्व करती थी, जबकि रोमन सभ्यता में देवी 'मात' थी, जो कि व्यवस्था के लिए खड़ी एक ऐसी देवी थी जो तलवार और सत्य के पंख रखती थी. हालांकि, मौजूदा न्याय की देवी की सबसे सीधी तुलना रोमन न्याय की देवी जस्टिटिया से की जाती है.

ग्रीक सभ्यता में हर काम में दैवीय मौजूदगी  

ग्रीक सभ्यता दुनिया की ज्ञात सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है. ग्रीक सभ्यता में हजारों देवी-देवताओं की मान्यता रही है. वहां खेत, अंगूर, शराब, पानी, हवा, आकाश, रंगमंच, संगीत जैसी हर चीज के लिए एक देवी या देवता रहा है. प्राचीन ग्रीक के लोग अगाध भाग्यवादी थे और अपने हर कर्म में दैवीय मौजूदगी को मानते थे. यह उनके आध्यात्मिक प्रतीक थे, यह उनका दर्शन था जिनसे वे मार्गदर्शन लिया करते थे. न्याय के लिए भी उन्होंने अपनी कल्पना से ऐसी फिलासफी सामने रखी जो एक ऐसे प्रतीक के रूप में सामने आई जो दुनिया भर में अपनाई गई.

पुनर्जागरण काल के बाद बनी शक्तिशाली प्रतीक

पुनर्जागरण काल (Renaissance) में यूरोप में मिथकों की निर्माण भी चलता रहा. नए उभरे गणराज्यों में न्याय की देवी नागरिकों के लिए कानून और न्याय की एक शक्तिशाली प्रतीक बन गई. यह राजाओं के दैवीय अधिकार के सिद्धांत का समर्थन करती थी लेकिन इसमें लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ न्याय की निष्पक्षता का महत्वपूर्ण सिद्धांत अहम था.     

न्याय की देवी के प्रतीक को दर्शाने वाली कलाकृतियां, पेंटिंग, मूर्तियां दुनिया भर में पाई जाती हैं. उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, मध्य-पूर्व, दक्षिणी एशिया, पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया की अदालतों, कानून से जुड़े दफ्तरों, कानूनी संस्थाओं और शैक्षणिक संस्थानों में न्याय की देवी की प्रतिमाएं और तस्वीरें देखने को मिलती हैं. 

भारत में न्याय की देवी कैसे आई? 

यूनानी सभ्यता से न्याय की देवी यूरोप और अमेरिका पहुंची. इसे भारत ब्रिटेन के एक अफसर लेकर आए थे. इसे 17वीं सदी में एक अंग्रेज न्यायालय अधिकारी भारत लाया था. ब्रिटिश काल में 18वीं शताब्दी के दौरान न्याय की देवी की मूर्ति का सार्वजनिक इस्तेमाल किया जाने लगा. भारत की आजादी के बाद न्याय की देवी को उसके प्रतीकों के साथ भारतीय लोकतंत्र में स्वीकार किया गया.

अलग-अलग देशों में न्याय की देवी कुछ अलग-अलग रूपों में देखने को मिलती है. लेडी जस्टिस की मूर्ति आम तौर पर एक खड़ी या बैठी हुई महिला के रूप में होती है. वह आम तौर पर नंगे पैर होती है और उसके बाल या तो उसके कंधों तक लटकते हुए होते हैं या फिर बंधे होते हैं. कहीं-कहीं उसके बाल सिर के चारों ओर फैले हुए होते हैं. वह एक हाथ में तराजू और दूसरे में तलवार रखती है. आमतौर पर तराजू बाएं हाथ में और तलवार दाएं हाथ में होती है. करीब सभी जगह उसकी आंखों पर पट्टी बंधी होती है.

न्याय की देवी के प्रतीक

तराजू  : तराजू निष्पक्षता और कानून के दायित्व (अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से) को अदालत में पेश साक्ष्य का तौलकर परीक्षण करने को दर्शाते हैं. कानूनी मामले में प्रत्येक पक्ष को देखा जाना चाहिए और न्याय करते समय तुलना की जानी चाहिए.

तलवार : तलवार शक्ति संपन्नता और सम्मान की प्रतीक है. इसका अर्थ है कि न्याय अपने फैसले पर कायम है और कार्रवाई करने में सक्षम है. तलवार बिना म्यान के है जो कि बहुत साफ तौर पर संकेत देती है कि न्याय पारदर्शी है. दोधारी तलवार बताती है कि सबूतों की जांच के बाद किसी भी पक्ष के खिलाफ फैसला सुनाया जा सकता है और यह फैसले को लागू करने के साथ-साथ निर्दोष पक्ष की रक्षा या बचाव करने में सक्षम है.

आंखों पर पट्टी : न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी पहली बार 16वीं शताब्दी में दिखाई दी थी. तब से इसका इस्तेमाल कई स्थानों  पर किया जाता रहा है. आंखों पर पट्टी कानून की निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता की प्रतीक है. इसका यह भी अर्थ है कि फैसले राजनीति, धन या प्रसिद्धि जैसे कारणों से प्रभावित नहीं होते हैं.

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भारत में न्याय की देवी के प्रतीक बदले

भारत में न्याय की देवी की वेशभूषा में बदलाव किया गया है. अब भारत की न्याय की देवी की आंखों पर से पट्टी हट गई है. उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है. न्यायपालिका ने ब्रिटिश शासन की परंपरा में बदलाव किया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश को संदेश दिया है कि अब ' कानून अंधा' नहीं है. इसके अलावा सजा देने की प्रतीक देवी के एक हाथ में रहने वाली तलवार हटा दी गई है. उसकी जगह संविधान ने ले ली है.

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Tuesday, 15 October 2024

SC में जज और वकील के बीच तीखी नोकझोंक, बुलाने पड़े सुरक्षाकर्मी, जानिए क्‍या था मामला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ और एक वकील के बीच तीखी नोकझोंक हो गई, जिसके बाद अदालत ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर वकील को बाहर का रास्ता दिखा दिया. दरअसल, वकील ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में यह नोंकझोंक उस वक्‍त शुरू हुई जब पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इसके बाद आखिरकार जजों को याचिकाकर्ता अरुण रामचंद्र हुबलीकर को न्यायालय कक्ष से बाहर निकालने के लिए सुरक्षाकर्मियों को बुलाना पड़ा. 

याचिका को खारिज करने से पहले न्यायालय ने कहा, "हम इसे खत्म करने जा रहे हैं. एक के बाद एक कई आवेदन आ रहे हैं."

जस्टिस गोगोई के खिलाफ जांच का मांगा था आदेश

याचिकाकर्ता ने जस्टिस गोगोई के खिलाफ इन-हाउस जांच का आदेश मांगा था, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, क्योंकि उन्होंने सेवा विवाद से संबंधित याचिका खारिज कर दी थी. 

उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि मैंने अपनी एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई पूरी की है. जस्टिस गोगोई ने एक फैसले में अनुचित रूप से हस्तक्षेप किया है. उन्होंने मेरी अवैध बर्खास्तगी के संबंध में मेरे पक्ष में पारित आदेश में हस्तक्षेप करके मेरा जीवन दुखी कर दिया है.  

मुझे मरने से पहले न्याय तो मिलना चाहिए : हुबलीकर 

हालांकि, न्यायालय याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं था. बेंच ने कहा, "हम जुर्माना लगाने जा रहे हैं. जज का नाम मत लीजिए. आपके मामले में कुछ भी नहीं है." 

इस पर हुबलीकर ने जवाब दिया, "कुछ भी नहीं? ऐसा कैसे कहा जा सकता है?" उन्‍होंने कहा कि यह मेरे साथ अन्याय है. कम से कम मुझे मरने से पहले न्याय तो मिलना चाहिए. 

जस्टिस त्रिवेदी ने सुरक्षाकर्मियों को अदालत में बुलाया 

हालांकि, इसके बाद भी कोर्ट ने याचिका खारिज करने का अपना इरादा दोहराया और कहा, "माफ कीजिए, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते. आपकी सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं." जिसके बाद गुस्से में हुबलीकर ने जवाब दिया, "आप माफी कैसे मांग सकते हैं? इस कोर्ट ने मेरा जीना दुश्वार कर दिया है."
 
इसके बाद ही जस्टिस त्रिवेदी ने हुबलीकर को कोर्ट रूम से बाहर निकालने के लिए सुरक्षाकर्मियों को बुलाने को कहा. साथ ही बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा, "सुरक्षाकर्मियों को बुलाइए. हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर मत कीजिए. अगर आप एक भी शब्द बोलते हैं, तो आप बाहर हो जाएंगे." 

हालांकि हुबलीकर ने नरमी से इनकार कर दिया और कहा, "मैडम, आप मेरे साथ अन्याय कर रही हैं. शिकायतकर्ता के खिलाफ नोटिस जारी करने में क्या समस्या है?" इसके बाद कोर्ट ने कहा, "सुरक्षाकर्मी कृपया उसे बाहर ले जाएं. हम सुरक्षाकर्मियों को बुला रहे हैं."



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Monday, 14 October 2024

यूपी उपचुनाव से पहले BJP का डैमेज कंट्रोल! CM योगी ऐसा नहीं करते तो अखिलेश को हो जाता फायदा

बीजेपी में अंदर ही अंदर गोलबंदी तेज हो गई थी. पार्टी के OBC विधायकों में अपनी ही सरकार और संगठन के खिलाफ ग़ुस्सा था. यूपी में विधानसभा उपचुनाव सिर पर है. ऐसे में बीजेपी के कुर्मी नेताओं की नाराज़गी का ख़तरा भारी पड़ सकता था. बीजेपी विधायक योगेश वर्मा की पिटाई को उनकी बिरादरी के पार्टी नेताओं ने भी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था. लखीमपुर के विधायक की पुलिस के सामने पिटाई हुई थी, लेकिन पीटने वालों के खिलाफ मुक़दमा तक दर्ज नहीं हुआ था.

वकीलों के नेता अवधेश सिंह ने दिनदहाड़े विधायक को पीट दिया था. बीजेपी के कुछ OBC नेताओं को लग रहा था कि सरकार आरोपी को बचा रही है. पार्टी के 37 विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी से इसकी शिकायत की. जिसके बाद अवधेश सिंह और उनकी पत्नी पुष्पा सिंह को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया.

बीजेपी विधायक योगेश वर्मा ने सोमवार की देर शाम को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की. विधायक ने पूरी बात मुख्यमंत्री को बताई. इस समय तक मारपीट के आरोपी बीजेपी से बाहर किए जा चुके थे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने वर्मा को कहा कि आपके साथ न्याय होगा. इसके बाद सीएम योगी के आदेश पर विधायक को पीटने वालों पर केस दर्ज हुआ, जबकि मारपीट की घटना 9 अक्तूबर की है.

पुलिस प्रशासन के रवैये से नाराज़ विधायक ने अपना सुरक्षाकर्मी तक वापस कर दिया था. हालात तब और बिगड़े जब क्षत्रिय सभा की एक बैठक में अवधेश सिंह का सम्मान किया गया. इस घटना के बाद तो बीजेपी के OBC नेताओं की नाराज़गी और बढ़ने लगी.

लखीमपुर में अर्बन कोआपरेटिव बैंक के प्रबंध समिति का चुनाव था. कुछ लोगों ने स्थानीय बीजेपी विधायक योगेश वर्मा से गड़बड़ी की शिकायत की. वकीलों के नेता अवधेश सिंह की पत्नी पुष्पा सिंह अध्यक्ष का चुनाव लड़ रही थीं. पति-पत्नी भी बीजेपी के नेता हैं. इसी बात पर अवधेश सिंह और योगेश वर्मा भिड़ गए. दिनदहाड़े पुलिस के सामने अवधेश ने विधायक को कई थप्पड़ मारे.

विधायक की तरफ़ से केस करने के लिए आवेदन किया गया लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया. धीरे-धीरे ये पूरा मामला कुर्मी समाज के नेताओं के मान सम्मान का हो गया. समाजवादी पार्टी के इस बिरादरी के नेता भी योगेश वर्मा के समर्थन में आ गए.

बीजेपी विधायक योगेश वर्मा ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाक़ात की. एक विधायक के प्रिविलेज का मुद्दा उठाया. योगेश ने अपने साथ पार्टी के 37 विधायकों के समर्थन का भी दावा किया. फिर उन्होंने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मुलाक़ात की. सबसे आख़िर में उनकी भेंट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कराई गई.

यूपी में यादव के बाद पिछड़ों में कुर्मी सबसे प्रभावशाली वोटर हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इस समाज के वोटरों ने बीजेपी को छोड़कर समाजवादी पार्टी का साथ दिया. नतीजा ये रहा कि बीजेपी की सीटें आधी रह गईं. बीजेपी अब फिर से उपचुनाव से पहले माहौल ख़राब करने का रिस्क लेने के मूड में नहीं है.



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